Friday, October 23, 2009

तितलियाँ और इच्छाए

एक गुलाबी तितली
लाल नसों वाली
प्यार से एक बाग़ में उड़ रही थी

मत सोचो की वो अकेली थी उसके
साथ कुछ नीली पंखो वाली और बहुत सी
तितलियाँ भी पराग की तलाश में
फूल छान रही थी

मुझे ( जाहिर सी बात है)
सिर्फ़ गुलाबी तितली ही दिखाई दी
तितली ने मुझे भाव विभोर कर दिया
पर शायद भावुक नही

मैं फिर से ये सोचने लगा
की इस तितली के पीछे भागो या नही
बड़े काम है मुझे
हाँ सो तोह है

मुझे बचपन से ही
रंगीन तितलियाँ पकड़ने का शौक है
उन्हें देख कर मैं
स्कूल जाना भूल जाता था

एक बार एक कागज का
प्लेन उडा रहा था
उससे एक तितली की मौत हो गई
दोस्तों ने कहा तू रोया क्यों नही
मैंने कहा था मुझे दुःख नही होता

फिर क्यों अचानक एक दिन जब एक बड़े से
ट्रक ने एक नीली तितली को कुचला तोह मुझे दुःख क्यों हुआ

मैंने जब सिंहावलोकन किया तोह पाया
की मैं नेपथ्य मैं गुलाबी तितली का करहना सुन रहा था

पर अब यह संगीत भी ओझल होता दिखाई देता है
क्योंकि मेरी इच्छाएं मुझे तित्लीयों के पीछे भागने से रोकती है

मुझे क्या चाहिए यह तोह नही पता पर हाँ
तितलियों का आकर्षण मुझे बाग़ मैं घुमा ही देता है

पर सच नही पता मुझे
की मैं क्या चाहता हूँ

तितलियाँ ही इच्छाएं है
या तितलियों ने इच्छाओ को मार कर
उनका आवरण धारण किया है

क्या फर्क पड़ता है
मुझे तोह सिर्फ़ खुशी चाहिए ना?????????

1 comment:

crazy devil said...

sahi hai par kanhi kanhi hindi ke tough words ka zabardasti use hai..jaise sinhavalokan..uska use galat hai yenha par