कुछ बुनियादी बातें मुझे समझ नहीं आती
कुछ बुनियादी सवालो से मैं अनजाना हूँ
बात तब की है जब में कुछ सवाल सोच रहा था
क्योंकि जवाबो की परवाह नहीं मुझे
जवाब मुझे एक निष्कर्ष पर ले जाते हैं
जो शायद किसी दृष्टिकोण पर बने हैं
सवाल साधारण था, की भ्रष्ट कौन है
जवाब दहला देने वाला था
जनता, जो सबसे ज्यादा पीड़ित है
वही सबसे ज्यादा भ्रष्ट है
भ्रष्ट होना लोगों को गंवांरा नहीं
परन्तु वही अगर विकार में बदल जाए
तो शायद मनुष्य उसे स्वीकार कर लेता है
लालच से, भय से
या किसी अन्य भावना से
अभी भावनाओं पर लिखना मुश्किल है
मैं उन सभी स्मिर्तियों को
अपने मानस पटल से विलुप्त करना चाहता हूँ
जो मुझे जवाब देती है एक दृश्टिकोण से
मुझे सिर्फ सवाल चाहिए, अनकहे, अनसुलझे
1 comment:
बहुत खुब।
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