Monday, May 27, 2019

शायद मुझे लगा

मैं एक मीनार जो बनाई गई थी
एक आजादी का जश्न मनाने के लिए
इरादे कुछ बदल गए
और बनाई जाने लगी
स्थापत्य की तरह
जो दर्शाती थी
एक शासक का अधिपत्य

शायद  मुझ मीनार को अपने  औचित्य पर
कुछ शंका होने लगी
मुझे लगा  कि मुझे बनाया जाना था
एक विद्रोह के प्रतीक के रूप में
पर मैं तो कुछ और दिख रही हूं

मैं नहीं चाहती कि मुझे
राजतंत्र गणतंत्र या जनतंत्र
 या तानाशाही जैसे महान
संस्थानों से जोड़ कर देखा जाए
मैं नहीं चाहती कि मुझे
साम्यवाद  या पूंजीवाद से
परिभाषित किया जाए

आजादी मानवीय परिभाषा से परे हैं

बेहतर होगा मैं झुक जाती हूं

शायद मुझे लगा

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