मैं एक मीनार जो बनाई गई थी
एक आजादी का जश्न मनाने के लिए
इरादे कुछ बदल गए
और बनाई जाने लगी
स्थापत्य की तरह
जो दर्शाती थी
एक शासक का अधिपत्य
शायद मुझ मीनार को अपने औचित्य पर
कुछ शंका होने लगी
मुझे लगा कि मुझे बनाया जाना था
एक विद्रोह के प्रतीक के रूप में
पर मैं तो कुछ और दिख रही हूं
मैं नहीं चाहती कि मुझे
राजतंत्र गणतंत्र या जनतंत्र
या तानाशाही जैसे महान
संस्थानों से जोड़ कर देखा जाए
मैं नहीं चाहती कि मुझे
साम्यवाद या पूंजीवाद से
परिभाषित किया जाए
आजादी मानवीय परिभाषा से परे हैं
बेहतर होगा मैं झुक जाती हूं
शायद मुझे लगा