Thursday, November 18, 2021

आओ दर्द का बटवारा कर ले

आओ दर्द का बटवारा कर ले 


एक संवाद संवेदनाओं को झकझोर देता है 

कहानी सुनाने और सुनने वाले 

बैठते हैं एक मेज पर 

फिर बात करते हैं 

आत्मीयता की 


हर एक मनुष्य एक स्थिति से निकला है 

वह उसे परखता है 

समझता है और फिर समझता है 

यही संवाद है और देखने का नजरिया


ऐसी ही कहानियों में 

कुछ सच्चे मन से सुनाई जाती 

हृदय को छू लेती हैं 

और हम शायद रो पड़ते हैं 


कुछ लोग रोने आते हैं, संग में  

दुसरे शहरों से 

दुसरे देशों से 

या दूसरी सभ्यताओं से 


हमारे सोचने के तरीके 

भिन्न हैं 

चरित्र भिन्न हैं 

और वेदनाएं भी भिन्न है 



यह सब की कहानी है 

एक लड़का और उसकी दोस्त 

एक मेज पर बैठकर  

वाचन कर रहें हैं वेदना का 


चाहे आप कितने भी कुटिल हो 

कितने भी आत्मसात 

यह सब की कहानी है 

और यही शायद मानवीयता भी