आओ दर्द का बटवारा कर ले
एक संवाद संवेदनाओं को झकझोर देता है
कहानी सुनाने और सुनने वाले
बैठते हैं एक मेज पर
फिर बात करते हैं
आत्मीयता की
हर एक मनुष्य एक स्थिति से निकला है
वह उसे परखता है
समझता है और फिर समझता है
यही संवाद है और देखने का नजरिया
ऐसी ही कहानियों में
कुछ सच्चे मन से सुनाई जाती
हृदय को छू लेती हैं
और हम शायद रो पड़ते हैं
कुछ लोग रोने आते हैं, संग में
दुसरे शहरों से
दुसरे देशों से
या दूसरी सभ्यताओं से
हमारे सोचने के तरीके
भिन्न हैं
चरित्र भिन्न हैं
और वेदनाएं भी भिन्न है
यह सब की कहानी है
एक लड़का और उसकी दोस्त
एक मेज पर बैठकर
वाचन कर रहें हैं वेदना का
चाहे आप कितने भी कुटिल हो
कितने भी आत्मसात
यह सब की कहानी है
और यही शायद मानवीयता भी