बुराँस के ढुलकते छरहरे पेड़ों के बीच
तक़रीबन उन्नीस साल पहले एक कच्ची सड़क गुजरती थी
उन कच्ची पगडंडियों को,
और कुछ पुरानी पगडंडिया जोड़ा करती थीं
जो तब शायद झाड़ियों से भर चुकी थीं
जब एक कॉपी कबाड़ में बेचने के बजाय
परीक्षा ख़त्म होने पर उन्हें फाड़कर,
उनके हवाई जहाज बनाना
एक विलासिता थी
तब कुछ बच्चे उन झाड़ियों से भरी
पगडंडियों पर शायद गलती से
गुजर जाते थे जिन पर
भेड़ और बकरियों की हड्डिया पड़ी होती थीं
जैव उपघटन के बाद, शायद उन्हें बाघ ने खाया हो
सफर के सबसे अच्छे पड़ावों में
शायद साफ़ पानी का एक नल था
संस्कृत जो जुड़ा है संस्कृति से
वहीं से कुछ श्लोकों का आविष्कार हुआ होगा
जो किसी भी पाठ्य पुस्तक में नहीं थे
ज्यादा कहने पर लड़ाई शायद भिक्षुओं और चार्वाकों
तक जा सकती है, चलिए आगे बढ़ें
कुछ और बरस पहले वह श्लोक
कुछ मुक्ति की बातें पढ़ते थे
शायद मोक्ष के परे
फिर दूर पहाड़ी से एक बड़ा मैदान
दिखता था
फिर मुक्ति और उक्ति में चुनाव था
पर चित्त उनसे भी कुछ अलग सोच सकता है
उम्मीद के परे की बात थी
तो विचार क्रियांन्वयन पर नहीं गया
माया शायद पारिभाषिक रूप से भिन्न थी
कुछ शब्दों का परिभासन उसके बाद हुवा
इसलिए विचारों में
अपरिपक्वता हो सकती है
मनुष्यता या मनुष्यों की मनुष्यता
त्रुटिहीनता पर बल देती थी
शायद ऐसा मानों सब एक ही
तराजू पर तोले जाएँ
इस समय चुनाव आसान था
अलगाव
परन्तु चित्त की दुर्बाता भी हो सकती है
कि जब अलगाव चुनने की बात आती है
तो सालों बाद मन समर्पण चुनता है
पर यह सब सिर्फ मनघडंत
रूढ़िवादी पुरानी काल्पनिक बातें हैं
इसमें कुछ भी निश्छल और निर्बाध नहीं
इसको न्यायालय में चुनौती भी दी जा सकती है