शुरवात थी कुछ इनओर्गानिक फूलों से
वो दौड़ कर लिपट जाना गवाह था मोहब्बत का
इक गाडी वाला जोर से होर्न बजाकर निकल लिया
बोला हटो रस्ते से, ये नैवद्य था
कुछ हज़ार किस और कुछ सर्द दिन
इस बार दिन तनहा नहीं थे
आइना साफ़ था और पूरा भी था
लाशें अब जल चुकी हैं
" कोई तो रोक लो" कहाँ से आया है
पर दिन कभी ख़त्म नहीं हुआ
सादगी अब थोड़ी
बेमानीसी सी लगने लगी थी
उसने मुझे फिर मेहँदी में
मेरा नाम ढूँढने को बोला
पर गहरे गीले हरे रंग की खुसबू में
मैं अपना अस्तित्व खो बैठा
एक रेलिंग पर दो लटके हाथ
एक दुसरे को कचोट रहे थे
वो स्पर्स केवल दोनों का नहीं था
किसी और ने भी उसे महसूस किया था
तभी एक नन्ही लड़की कुछ इतरा के
ऊँगली और उन्गूठे से जीरो बनाकर बोली
दीदी मेहँदी अच्छी लग रही है
पर मतलब कुछ और था उसका
एक खूसट बूढा, जो शायद
उस मासूम लड़की का चाचा था
शकल बना कर देखने लगा
और गुलाबी लड़की हंस पड़ी
कई जबानो में जबानें की गयी
ईमान डोले मगर
शायद फिर ईमान बेईमानी निकले
प्यार में ईमान बेमतलब हैं
कुछ ही तीर तरकश से निकले
बाकी तीर खली गए
तरकश मचलता रहा
और निशाना अटखेलियाँ करता था
एक सुबह आलू पराठे की थी
तो बाकी सिर्फ चाय पर निकल गयी
कुछ समोसे खाए और बाकी भूख, हा !!!!
सोच लो खुसबू और भूख में क्या बड़ा है
एक बुद्ध मंदिर, जो वहां हमेशा था
पर ढलान पर दौड़ना नया था
नाव के चप्पू के साथ मछलियों की अटखेलियाँ
और कुछ नीली चूड़ियों की खनक भी थी
मौसम में मौसिदगी
और कुछ रेशम सी चमक
शायद यह रंग उतरेगा नहीं
और हाँ यह कुछ समय में और गहरा गया है
कौन पानी में देर तक रह सकता है
किसको ठण्ड कम लगती है
कुछ और आज्मयिशे थी
पर साला, फोटोग्राफर बड़ा चालू था
ठंडी बारिश , वो भी रात की
सावन का पहला फवारा साथ में
सर्द आहें, और जुकाम
पर अफ़सोस में खांसी नहीं बाँट पाया
एक नन्ही लड़की रो रही थी
पर शायद रंगीन परी को
उस पर प्यार आ गया, और बोली
में इसे गोद में ले लूं
उछलते हुवे चलकर थोडा
सावधानी बरतनी चाहिए
फिर पीछे से नाम लेकर अगर पुकारे कोई
तो चोर को चुप रहना चाहिए
पर पकडम- पकड़ाई का खेल
केवल चोर पोलिसे ही नहीं खेलते
कुछ लोगों के आशियाने
ज्यादा मचलते हैं, और फिर आग लगती है
चेहरा गुलाबी था, कपडे भी और टोपी भी
गुलाबी ही खरीदे गए
पर हया का रंग कुछ भी हो
वो नीला नहीं होता
चोकलेट ढूँढने की कोशिश थी
पर स्ट्राऔबरी ही मिला,
पर सच बताओ वोह भी
बहुत अच्छा लगा
फिर क्या था, एक किताब में कसमें
या कसमों की किताब, कुछ रुआंसी आँखें
और ज्यादा ही देख लिया है हमने
ज्ञान ज्यादा हो गया अब
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Sunday, June 26, 2011
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